अपराध

इत्र कारोबारी का आशियाना: कंटीले तार, करंट और 24 घंटे की सुरक्षा, ऐसे चाक-चौबंद रहता है पीयूष जैन का ठिकाना

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीम शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के इतिहास में कानपुर में इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों से 180 करोड़ रुपये की नकद बरामदगी कीर्तिमान बन गई है। एक टीवी चैनल से बातचीत में सीबीआईसी के निदेशक विवेक जौहरी ने इसकी पुष्टि की है। सूत्रों के मुताबिक, पीयूष जैन का हवाला का बड़ा कारोबार है। वह ट्रकों से 50 हजार रुपये तक की इनवाइस के जरिये किराने के किराना और सुपाड़ी की आड़ में हवाला से जुड़ी मोटी रकम मुंबई समेत दूसरे शहरों को भेजता था। सूत्रों का दावा है कि डिब्बों में किराना और सुपाड़ी की जगह नोट भरे होते थे। जांच में इसकी पुष्टि के बाद यह कार्रवाई हुई। रकम बड़ी होने से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी केस दर्ज कर जांच शुरू कर सकता है। नियमानुसार एक करोड़ रुपये से अधिक की बरामदगी पर आरोपी को जेल भेजने का प्रावधान है। ऐसे में पीयूष जैन का जेल जाना लगभग तय है। सूत्रों के अनुसार डीजीजीआई की जांच पूरी होने के बाद ईडी, आयकर विभाग अपने स्तर से कार्रवाई शुरू करेंगे।

नकदी गिनने में हांफी मशीन, 13 और मंगाई रुपये गिनने पहुंचे एसबीआई के अफसर

इत्र कारोबारी पीयूष जैन ने 2007 में आनंदपुरी में मकान खरीदा था। वो कभी-कभी यहां आते थे। बेटे प्रत्युष और प्रियांश यहीं पर रहते थे। बताया गया कि घर में अकूत धन होने के चलते बेहद सीमित संख्या में लोग आते जाते थे। घर में सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं लेकिन घर के बाहर और छतों पर तारों की फेंसिंग है। रात में तारों में करंट भी दौड़ता था। घर के अंदर काले शीशे लगाए गए हैं। ताकि कोई अंदर की गतिविधियां न देख सके। घर को कभी अकेला भी नहीं छोड़ा जाता था।

25 बक्सों में रकम भरकर भेजी गई एसबीआई

डीजीजीआई के अफसरों के कहने पर एसबीआई के अफसरों ने रुपये गिनने में मदद की। 17 मशीनों से रुपये गिने जा रहे हैं। रुपयों को रखने के लिए 80 स्टील के बक्से मंगाए गए और 1200 रुपये भाड़े में एक कंटेनर मंगाया गया था। इसकी मदद से बक्सों में कैश एसबीआई में जमा कराया गया है।

घर में चारों तरफ लगे हैं कटीले तार, रात में दौड़ता करंट

इत्र कारोबारी पीयूष जैन ने 2007 में आनंदपुरी में मकान खरीदा था। वो कभी-कभी यहां आते थे। बेटे प्रत्युष और प्रियांश यहीं पर रहते थे। बताया गया कि घर में अकूत धन होने के चलते बेहद सीमित संख्या में लोग आते जाते थे। घर में सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं लेकिन घर के बाहर और छतों पर तारों की फेंसिंग है। रात में तारों में करंट भी दौड़ता था। घर के अंदर काले शीशे लगाए गए हैं। ताकि कोई अंदर की गतिविधियां न देख सके। घर को कभी अकेला भी नहीं छोड़ा जाता था।