मछली शिकार पर प्रतिबंध को ठेंगा:
कमासिन,मर्का यमुना तटपर शिकारियों का विशेष जमघट।
रिपोर्ट नवल तिवारी
बांदा। जिले का मत्स्य विभाग के निकम्मेपन से प्रजनन अवधि के समय मछलियों का शिकार बेखौफ गति से परवान चढ़ रहा है। शिकारी नदियों, तालाबों में जाकर मछलियाें का शिकार कर रहें है। मछली बाजारों में यहां रोजाना बिक रहीं मछलियां इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। आश्चर्य हैं की संबंधित अधिकारी एवं प्रशासन कोई कार्यवाई नहीं कर रहें। इसके पीछे शिकारी एवं विक्रेता संबंधितों को कथित रूप से मालामाल करते हैं।
मत्स्य विभाग और प्रशासन हर साल 16 जून से 15 अगस्त तक मछलियों के शिकार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा देता है। इसके तहत इस अवधि में मछलियों के शिकार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहता है।लेकिन आश्चर्य है की आदेश देने के बाद भी इसका पालन नहीं होता है। यह आदेश सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं। जिले की अधिकतर नदियों, छोटे-बड़े तालाबों, डेम आदि में 24 घंटे मछलियों का शिकार देखा जा सकता है। यमुना नदी में कमासिन एवं मर्का थाना क्षेत्र के तटबंधों पर मछलियों का बड़े पैमाने पर शिकार इन दिनों सुर्खियों में है। प्रतिबंध लगने के बाद भी जिले में इन मछली पकड़ने वालों के विरुद्ध आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। और न ही कोई केस बनाया गया है।
मछलियों का शिकार करने वाले नदियों में अवैध रूप से जाल डालकर मछलियों का शिकार कर रहें हैं। इन्हें हाट बाजारों, होटलों में मछलियों को अवैध रूप से बेचते देखा जा सकता है। क्षेत्र में मछलियों का शिकार रोकने के लिए विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे मछली का शिकार करने वालों के हौंसले बुलंद हैं।