ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दिनांक 21 अगस्त को संस्कृत एवं वैदिक अध्ययन विभाग द्वारा 'वैश्विक संदर्भ में संस्कृत का महत्व' विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत एवं भारतीय अध्ययन विद्यापीठ के संकायाध्यक्ष प्रो. रामपाल गंगवार ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं वक्ता के तौर पर प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान प्रो. अर्क नाथ चौधरी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. रिपुसूदन सिंह, कार्यक्रम संयोजक डॉ. विपिन कुमार झा उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण से हुई। इसके पश्चात डॉ. विपिन कुमार झा ने सभी को मुख्य अतिथि के परिचय से अवगत कराया एवं कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा की जानकारी दी। कार्यक्रम संचालन का कार्य डॉ. रमेश चंद्र नैलवाल द्वारा किया गया। विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं वैदिक अध्ययन विभाग द्वारा एक माह का विश्व संस्कृत दिवस मनाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
मुख्य वक्ता प्रो. अर्क नाथ चौधरी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि, संस्कृत अमूल्य निधि के समान है । इसमें वेद,स्मृति,इतिहास,पुराण,वेदांग,दर्शन,आयुर्वेद, ज्योतिष,अर्थशास्त्र एवं कामशास्त्र सम्मिलित हैं, जो नि:श्रेयस की प्राप्ति कराते हैं । उन्होंने बताया कि कैसे विश्व की विभिन्न भाषाओं ने संस्कृत भाषा के बहुत से शब्दों को ग्रहण किया है। क्योंकि संस्कृत शब्द और अर्थ प्रधान भाषा है जो कि सभी भाषाओं की उपकारक है। संस्कृत में राष्ट्र, समाज और विश्व का चिंतन है। इसीलिए ही संस्कृत को दैवीय भाषा कहा गया है।
विभागाध्यक्ष प्रो. रिपुसूदन सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि प्रकृति की जिस प्रकार की चर्चा हमारे संस्कृत वाङ्मय में है , वह किसी भी अन्य भाषा में संभव नहीं है। हम हमेशा से ही प्रकृति पूजक , जिज्ञासु एवं ज्ञान केन्द्रित रहें हैं। साथ ही संस्कृत भाषा कोई मृत भाषा नहीं है बल्कि अभी भी नवीनतम भाषा के तौर पर विद्यमान है।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन का कार्य प्रो. रिपुसूदन सिंह ने किया। कार्यक्रम का समापन सामूहिक कल्याण मंत्र के साथ हुआ। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षकगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहें।