देश से बङा कुछ नहीं
समस्या सदा से ही रही है और रहेगी भी इन्हे कोई खत्म नहीं कर सकता और जो खत्म कर सकते है खत्म होने नही देना चाहते ऐसा महसूस होता है पता नही कितना समझ सकते है हम इन बातो को लेकिन यह तो तय है कि मानव की निर्मम सोच बर्बादी की और ही ले जा रही है इसके पीछे और पाने के साथ ही स्वयं को ऊंचा और दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश ही है हम यह बिलकुल नही कहते कि कौन इसमे पीछे है सायद पीछे कोई नही है सब दंगे को ही विकल्प मानते है सायद दंगा विकल्प नहीं है विकल्प भाईचारा ही है बदला लेना है जिसे वो ले ही लेता है जिसे छमा करना हैं वह छमा कर देता है ।
वास्तव में लङाई के पीछे की कङवी सच्चाई कुछ और है जो राष्ट्रवाद तो बिलकुल नहीं है बल्कि राष्ट्र के नाम पर धर्म और जाति के नाम पर विवाद ही है कोई आपको नीचा दिखाने की कोशिश करे उसका बदला लेना अनुचित नही लेकिन सुधार के लिए सरकारो को कठोर नियम लागू करने होंगे अपने पराये मित्र शत्रु से ऊपर तभी सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे हो सकता है थोङा समय लगे चूंकि असभ्य बनाने मे समय नही लगता जबकि संस्कारों को जगाने मे बहुत पापङ बेलने पङते है ।
हर जाति धर्म के लोगों ने स्वयं को बलिदान किया है
जब देश की शान की बात आयी तो सबने मिलकर लङी लङाई पर आज कुछ अलग ही रंग है देशभक्ति का देशभक्ति के मायने तो नही बदल गये आज देशभक्ति स्वार्थपूर्ति का साधन बन गया वही दंगा करता है और भीङ मे भाईचारे की बाते करता है ऐसा करना ठीक नहीं है आने वाली पीढ़ी इससे बर्बाद ही होगी और घृणा ही सीखेगी।
बचपन से सबमे देखा हमने प्रेम ही प्रेम
बङा दुखद लगता है वर्तमान समय हमने वह समय देखा है जब बिना जाति धर्म के भेदभाव के एकसाथ आनंद बाटते थे त्यौहार सबके होते थे आज सोचकर बङा कष्ट होता है क्या बदल गया सूरज, चंदा ,धरती, आकाश ,पेढ आज भी छाया ही दे रहे हैं हमारी मानव पृकृति इतनी भयानक कैसे हो गयी इसका जिम्मेवार कौन है हमारे बीच से ही अपने अभिमान को पोषण देने वाले लोग है कही न कही जो चाहते ही नही कि राष्ट्रवाद जीवित रहे समय बदलेगा मारकाट मचेगी भीङ बढेगी तो कांट छाट जरूर होगी लेकिन हम ही कांट छाट करें यह आवश्यक तो नहीं जरूरत पर सबको सब करना होगा यह उंचित भी है लेकिन जहाँ मिल-जुलकर जीवन आनंद से भर सके वहा इन चीजों को दिमाग से ही निकाल देना चाहिए।
दिव्य और समृद्ध भारत कैसे बनेगा
जब परिवार में ही अनबन होगी तो देशभक्ति कैसै जगेगी सैनिकों से पूछो देशभक्ति क्या होती है वहां सिर्फ देश की शान सब कुछ है सामने कौन है कतई फर्क नहीं पड़ता है। बच्चो को पढ़ाने के लिए शिक्षक की जाति धर्म मायने नहीं रखती थी अच्छा शिक्षक धर्म और जाति से ऊपर होता है उसे अपना धर्म अच्छे कर्म मे ही दिखाई देता है।
शस्र और शास्त्र दोनों चाहिये लेकिन कब ,कहाँ, क्यो
युद्ध के समय शास्त्र की नहीं शस्र की आवश्यकता होती है तो समाज निर्माण के लिए शास्त्र की ही आवश्यकता होती है अतः स्थान के अनुसार ही चीजों का उपयोग करे देश मे सभी देशवासियों को एकसाथ रहकर वीर और साहसी बनकर रहना होगा तभी बाहरी शत्रुऔ पर नियंत्रण पा सकेंगे घर पर लङकर नही।
राष्ट्र की उन्नति हमारी सच्ची देशभक्ति मे ही निहित है अन्यथा कोई भी देश आपका साथ न सकेगा-
राष्ट्र रक्षा विश्व कल्याण हेतु समर्पित
देशभक्ति पर देशभक्त का चिन्तन
कर्मयोगी पृकृति पुत्र त्यागी जी।
ज्ञान तीर्थ स्वर्ग धाम विलायत कला कटनी मध्य प्रदेश भारत
हिंदी दैनिक राष्ट्रीय युवा वाहिनी शंखनाद समाचार सम्पादक हिन्दू देव प्रकाश शुक्ला
प्रबंध सम्पादक अभिषेक द्विवेदी
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