शिक्षा

श्रृंगार रस से सिक्त होती है कजरी : डॉ लीना मिश्र। संस्कृति सप्ताह के अंतर्गत कार्यक्रम का आयोजन

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। सावन जा रहा है। इसके आगमन से ही वर्षा की बूंदे धरती को तृप्त करने लगती हैं। तप्त धरती पर पड़ती सावन की बूंदों से एक ऐसी सोंधी महक उठती है, जो मानव मन को तृप्त कर देती है। बल्कि कालिदास कृत मेघदूत के यक्ष की तरह मन में प्रेम उमड़ पड़ता है। कजरी में इसी को विविध प्रकार से गाया बजाया गया है। कजरी पूर्वी उत्तर प्रदेश का वर्षा ऋतु का प्रसिद्ध लोकगीत है जिसकी उत्पत्ति मिर्जापुर में मानी जाती है। इसे सावन के महीने में गाया जाता है। यह उपशास्त्रीय गायन की विधा के रूप में भी लोकप्रिय है। इसके गायन में बनारस घराने की गिरिजा देवी, महादेव जी और छन्नूलाल मिश्र प्रख्यात गायक हैं। कजरी गीतों में वर्षा ऋतु का वर्णन, विरह-वर्णन तथा राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन अधिकतर मिलता है। इसमें श्रृंगार रस की प्रधानता होती है। अपनी संस्कृति के इन्हीं आयामों को जानने के लिए बालिका विद्यालय में वर्ष पर्यंत अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसी क्रम में बालिका विद्यालय इंटरमीडिएट कॉलेज, मोती नगर, लखनऊ में आज संस्कृति सप्ताह के अंतर्गत कजरी के गीतों पर आधारित नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन भारत विकास परिषद महिला शाखा चौक द्वारा करवाया गया। प्रतिभा रानी के निर्देशन में छात्राओं ने मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। भारत विकास परिषद महिला शाखा चौक की अध्यक्ष कंचन अग्रवाल, सदस्य संगीता अग्रवाल, बीना वाजपेई और अनीता रस्तोगी द्वारा विजयी छात्राओं को पुरस्कृत किया गया। कक्षा 10 की खुशी कुमारी प्रथम, कक्षा 12 की नीतू द्वितीय, कक्षा 11 की रिया तृतीय स्थान पर रही और कक्षा 12 की ममता को सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुआ। इस कार्यक्रम के आयोजन में विद्यालय की समस्त शिक्षिकाओं का पूरा सहयोग रहा। प्रधानाचार्य डॉक्टर लीना मिश्र द्वारा सभी छात्राओं को बधाई दी गई। कार्यक्रम में उमा रानी यादव, उत्तरा सिंह, ऋचा अवस्थी, अनीता श्रीवास्तव,रागिनी यादव ,मंजुला यादव और रितु सिंह उपस्थित रही।