ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दिनांक 23 अगस्त को 'राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस - 2024' के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस - 2024 का विषय"चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा" रखा गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन. एम. पी. वर्मा ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च, लखनऊ के निदेशक प्रो. आलोक धवन उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के तौर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज से सेवानिवृत्त प्रो. पी. एन. महरोत्रा एवं प्रो. इन्दिरा मेहरोत्रा उपस्थित रहीं। इसके अतिरिक्त मंच पर वक्ता के तौर पर इसरो - टैलीमेट्री ट्रैकिंग एण्ड कमांड सेंटर, लखनऊ के वैज्ञानिक डॉ. श्याम कृष्ण पाण्डेय एवं अर्थ रिसोर्स डिविजन, रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर, लखनऊ के वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. अनिरुद्ध उनियाल व आयोजन समिति के चैयरमेन एवं अर्थशास्त्र विभाग, बीबीएयू के विभागाध्यक्ष प्रो. सनातन नायक उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से माननीय अतिथियों को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके उन्हें सम्मानित किया गया। सर्वप्रथम प्रो. सनातन नायक ने अतिथियों एवं कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। इसके पश्चात प्रो. वेंकटेश दत्ता ने सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया। मंच संचालन का कार्य कैप्ट. (डॉ.) राजश्री द्वारा किया गया।
माननीय कुलपति प्रो. एन. एम. पी. वर्मा ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हमें देश की आर्थिक व्यवस्था का अध्ययन करते हुए लगभग 2 दशकों के लिए एक लक्ष्य को निर्धारित करना होगा। जिससे विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों को पूर्ण करने में विद्यार्थी अपना अहम योगदान दे सकें। क्योंकि अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रगति देश को वैश्विक स्तर पर एक अहम पहचान दिलाती है।
मुख्य अतिथि प्रो. आलोक धवन ने अपने विचार रखते हुए कहा, कि अंतरिक्ष एवं सैटेलाइट के विकास के फलस्वरुप दूरसंचार, मौसम, तकनीकी, प्रौद्योगिकी, कृषि एवं ऊर्जा आदि के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। साथ ही विद्यार्थियों को अपने आराम के क्षेत्र से निकलकर बाहरी दुनिया से जुड़ना चाहिये तभी उनका सर्वांगीण विकास संभव है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. इन्दिरा महरोत्रा ने चर्चा के दौरान कहा कि हमने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक बहुत लंबी यात्रा तय की है। इसीलिये भारत देश को आज अंतरिक्ष प्रधान देशों की श्रेणी में गिना जाता है। दूसरी ओर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, रिमोट सेंसिंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी तकनीक न केवल अंतरिक्ष विज्ञान बल्कि दिन प्रतिदिन की जिंदगी में आवश्यक बन गयी है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. पी. एन. महरोत्रा ने कहा कि हमें चंद्रयान - 3 की सफलता के पीछे अपने वैज्ञानिकों के योगदानों को नहीं भूलना चाहिए। इसके अतिरिक्त इस मिशन ने शोध, उद्योग एवं संचार आदि के क्षेत्र में युवा मस्तिष्कों को रोजगार की संभावनाएं प्रदान की है।
मुख्य वक्ता डॉ. श्याम कृष्ण पाण्डेय ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज के ही दिन एक वर्ष पूर्व भारत ने चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। यह एक राष्ट्रीय उपलब्धि और महोत्सव का दिन है। अकादमिक शिक्षाविदों , वैज्ञानिकों, शोधार्थियों एवं छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान से जोड़ना ही राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय दिवस का मुख्य उद्देश्य है।
मुख्य वक्ता डॉ. अनिरुद्ध उनियाल ने पृथ्वी से चंद्रमा और सूर्य के समान आकार के दिखने के कारणों के विषय में बताया। साथ ही उन्होंने चंद्रमा पर अचानक सूर्योदय एवं सूर्यास्त की घटना, चंद्रमा की उत्पत्ति की वैज्ञानिक परिकल्पना एवं चंद्रमा की भूवैज्ञानिक घटनाओं की विस्तृत जानकारी दी।
इसके अतिरिक्त 'राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस - 2024' के अवसर पर विश्वविद्यालय में माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा संबोधित कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से माननीय राष्ट्रपति ने इसरो के विकास की सराहना करते हुए इसे असाधारण बताया। साथ ही विद्यार्थियों ने अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह एवं इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ के संबोधन को भी सुना। इस लाइव प्रसारण के दौरान विद्यार्थियों ने जाना कि किस प्रकार चंद्रयान का चांद पर उतरना सभी भारतीयों के लिए गौरवान्वित क्षण था। इसके अतिरिक्त समापन सत्र के दौरान 'राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस - 2024' की पूर्व संध्या पर आयोजित पोस्टर मेकिंग, प्रश्नोत्तरी एवं निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के अंत में, धन्यवाद ज्ञापन का कार्य डॉ. अजीत मौर्य द्वारा किया गया। समस्त कार्यक्रम के दौरान आईक्यूएसी डायरेक्टर प्रो. राम चन्द्रा, डीएसडब्ल्यू प्रो. बी. एस. भदौरिया, प्रॉक्टर प्रो. संजय कुमार, आईक्यूएसी डिप्टी डायरेक्टर प्रो. शिल्पी वर्मा, प्रो. नरेंद्र कुमार प्रो. शूरा दारापुरी, डॉ. ओम प्रकाश, डॉ अनिल यादव, डॉ. अंशुल अग्रवाल, डॉ. बलराज सिंह, डॉ. अजीत मौर्य, डॉ. मंगलदीप गुप्ता , डॉ. अभिषेक वर्मा, अन्य शिक्षकगण , शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहें।