हिंदी भाषा की अमूल्य धरोहर थे पद्मश्री साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु
(प्रतापगढ़ के साहित्यकारों ने जयंती पर याद करते हुए अर्पित किया श्रद्धासुमन )
बिहार प्रांत के अररिया में 4 मार्च 1921 को जन्म लेने वाले वरिष्ठ साहित्यकार *फणीश्वर नाथ रेणु की जयंती पर जनपद के साहित्यकारों ने उन्हेंपद्मश्हमउहुए श्रद्धासुमन अर्पित किया है।
साहित्यकारों ने पद्मश्हमउन विभूषित फणीश्वर नाथ रेणु को हिंदी भाषा का अलौकिक साहित्यकार करार दिया है। उन्होंने अपने *मैला आंचल नामक उपन्यास से बहुत ख्याति अर्जित किया है। यद्यपि 56 वर्ष की अवधि में ही वे हमारे बीच से सदा सर्वदा के लिए चले गए, लेकिन इस बीच उनके द्वारा लिखे गए तमाम उपन्यासों मैला आंचल नामक उपन्यास आज भी चर्चा में है।
श्रद्धासुमन अर्पित करने वाले साहित्यकारों में कविकुल संरक्षक पंडित राम सेवक त्रिपाठी प्रशांत, अध्यक्ष परशुराम उपाध्याय सुमन, सुरेश संभव, सुनील प्रभाकर, विष्णु दत्त मिश्र प्रसून, डॉ श्याम शंकर शुक्ल श्याम, अवध नारायण शुक्ल वियोगी, प्रमोद प्रियदर्शी,राजेश पांडेय निर्झर, राज नारायण शुक्ला राजन, डॉक्टर सौरभ पांडेय, सुरेश द्विवेदी ब्योम के अलावा स्वतंत्र कवि मंडल सांगीपुर अध्यक्ष अर्जुन सिंह, यज्ञ नारायण सिंह, गुरुबचन सिंह बाघ, यज्ञ कुमार पांडेय, डॉ अजित शुक्ल, अरविंद सत्यार्थी, अशोक विमल, कृष्ण नारायण लाल श्रीवास्तव, महादेव प्रसाद मिश्र बमबम, डॉक्टर एसपी सिंह शैल, अमरनाथ गुप्ता बेजोड़, शेष नारायण दुबे राही, राज किशोर त्रिपाठी आदि साहित्यकार रहे।