संवाददाता रियासत अली
खैराबाद।सीतापुर
स्थानीय मदरसा अल्लामा फजले हक खैराबादी मेमोरियल कॉलेज में 1857 के अमर शहीद मर्दे मुजाहिद जलील हज़रत अल्लामा फजले हक खैराबादी अलैहिर्रहमा की 163 वीं पुण्य तिथि पर मदरसा में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया इससे पूर्व बच्चों एवं शिक्षकों ने प्रभात फेरी निकाल कर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई प्रभात फेरी में नारे भी लगा रहे थे जिसमे अल्लामा फजले हक़ अमर रहे मंगल पांडेय अमर रहे राजा हर प्रसाद अमर रहे के सुभाष चंद्र बोस अमर रहे केजोशीले नारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा सबसे पहले बच्चे अल्लामा फजले हक़ स्मारक पर पहुंच कर श्रद्धा सुमन अर्पित कर बच्चों एवम उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए संस्था के प्रबंधक नजमुल हसन शोएब मियां ने कहा कि अल्लामा फजले हक़ अलैहिर्रहमा की 1857 की कुर्बानी को कभी फरामोश यानी भुलाया नही जा सकता पर अफसोस है कि आज हमारी तारीख अर्थात इतिहास में कहीं भी आपका नाम तक नही दर्ज है।
संस्था के संस्थापक क़ाज़िम हुसैन ने अपने एक बयान में कहा कि मालूम हो कि 1857 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर शहीद अल्लामा फजले हक खैराबादी ने अंग्रेजों के खिलाफ जेहाद का फतवा दिया कि अंग्रेजों हिन्दुस्तान छोडो इसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोग घरों से बाहर निकल करअंग्रेजों से युद्व करने मैदान में आ गए जिसमे सैकड़ों की तादाद में उलमाए किराम मौलानाओं को क़त्ल कर दिया गया और आपको गिरफ्तार करके मुक़दमा चलाया गया 1859 में आपको काले पानी की सज़ा देते हुए अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के क़ैद खाने में काले पानी की सज़ा बोलते हुए क़ैदख़ाने में डाल दिया गया जेल यानी बैरक की हालत ये थी कि न सीधे खड़े हो सकते न लेट सकते थे इतनी सख़्त सज़ा दी गई तत्पश्चात 20 अगस्त 1861 को आप की मृत्यु उसी क़ैदख़ाने में हो गई श्री हुसैन ने अपने बयान में आगे कहा कि अल्लामा को इतनी सख्त सजा दी गई थी कि उनका उठना लेटना भी मुश्किल था और उसी हालत में 20अगस्त 1861 को आपका निधन हो गया इसी कारण आज हम सब उनको श्रधांजलि देने के लिए इकट्ठा हुए हैं ।
कार्यक्रम संचालक प्रधानाचार्य एहतिशाम आलम ने कहा कि अल्लामा साहब के नाम से इस संस्था को कायम किया गया क्योंकि शिक्षा के द्वारा ही सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की जा सकती है।और आज भी यहां से सैकड़ों बच्चे शिक्षा ग्रहण करके निकल रहे हैं इसके बाद बच्चे नई बाजार,लतीफ़ मार्केट, शीशे वाली मस्जिद आदि होते हुए मदरसे पहुंचे जहां पर एक सभा हुई तथा इसाले सवाब भी किया गया।संस्था के पूर्व प्रधानाचार्य एवं संस्था के विशेष सलाहकार एवं सहयोगी सदस्य कारी इस्लाम अहमद आरफी ने अपने उदबोधन में कहा कि अल्लामा फजले हक़ इसी क़स्बा खैराबाद के रहने वाले थे और बेहतरीन शिक्षक तो थे ही साथ मे एक अच्छे शायर व पत्रकार तथा लेखक भी थे लेकिन अफ़सोस कि आज उन्हीं का नाम इतिहास के पन्नों से गायब कर दिया गया है इस मौके पर मदरसे के शिक्षको में अब्दुल हफ़ीज़, हाफ़िज़ मुशीर, सिराज अहमद ,कामरान खान, उमैर आज़ाद,अकील अहमद मुन्ना तथा समस्त स्टाफ ने प्रतिभाग किया अन्त में अब्दुल हफीज ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को सफ़ल बनाने में पुलिस प्रशासन का भी पूरा सहयोग रहा मदरसा से स्मारकों तक बच्चों की सराहना और सुरक्षा दोनों कार्यों में सहयोग प्रदान किया।