पिछले एक दशक में दुनियाभर में कैंसर के मामलों में भारी उछाल देखने को मिला है। कम उम्र में भी लोगों में तमाम तरह के कैंसर का निदान हो रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कैंसर जानलेवा स्वास्थ्य समस्या है। इसके कारण परेशानी तब बढ़ जाती है जब समय रहते इसका निदान और इलाज नहीं हो पाता है। अगर शुरुआती स्तर पर ही कैंसर के लक्षणों को पहचान लिया जाए और इसका इलाज हो जाए तो रोग को गंभीर रूप तक पहुंचने से रोकने के साथ रोगी की जान बचाना आसान हो जाता है। आंत का कैंसर ऐसी ही एक बढ़ती हुई समस्या है जो दुनियाभर में लाखों लोगों को अपना शिकार बना रही है, जिनमें से ज्यादातर लोगों की मौत हो जाती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, कैंसर की स्थिति में शरीर स्वत: ही इसका संकेत देने लगता है। आंत के कैंसर की स्थिति में शौच में कुछ बदलाव और दिक्कतों का अनुभव होने लगता है, जिसके बारे में सभी लोगों को विशेष सतर्कता बरतते रहने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं कि किन लक्षणों के आधार पर आंत के कैंसर की स्थिति का समय रहते पता लगाया जा सकता है?
आंत के कैंसर के लक्षण
कैंसर रोग विशेषज्ञ कहते हैं, आंत के कैंसर का इलाज संभव है, खासकर अगर प्रारंभिक अवस्था में ही इसका पता चल जाए। हालांकि इसके पूरी तरह से ठीक होने की संभावना कम होती है क्योंकि यह विकसित होता है और एक पूर्ण बीमारी में बदल जाता है। शुरुआती पहचान और उपचार से रोग को गंभीर रूप लेने से रोकने में मदद मिल सकती है। प्रारंभिक चरण के कोलोरेक्टल कैंसर के कारण लोगों को अचानक वजन कम होने, शौच के साथ खून आने जैसी दिक्कतें हो सकती है। वैसे ये लक्षण अल्सर, बवासीर या क्रोहन रोग जैसी बीमारियों में भी हो सकते हैं, इसलिए स्थिति के सही निदान के लिए चिकित्सक से जरूर संपर्क करें।
किन्हें इसका खतरा अधिक होता है?
अध्ययनों से पता चलता है कि आंत के कैंसर के विकसित होने का कोई एक खास कारण नहीं है, इसके कई कारक हो सकते हैं। नियमित धूम्रपान करने वालों को इस स्थिति का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा जिन लोगों को पहले से अल्सरेटिव कोलाइटिस या क्रोहन रोग जैसी दिक्कत लंबे समय तक रह चुकी हो या आंतों से संबंधित कोई दिक्कत लगातार बनी हुई है, उन्हें इस बारे में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
किन्हें इसका खतरा अधिक होता है?
अध्ययनों से पता चलता है कि आंत के कैंसर के विकसित होने का कोई एक खास कारण नहीं है, इसके कई कारक हो सकते हैं। नियमित धूम्रपान करने वालों को इस स्थिति का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा जिन लोगों को पहले से अल्सरेटिव कोलाइटिस या क्रोहन रोग जैसी दिक्कत लंबे समय तक रह चुकी हो या आंतों से संबंधित कोई दिक्कत लगातार बनी हुई है, उन्हें इस बारे में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक सभी लोगों को अपने जोखिम कारकों को समझते हुए कैंसर के लक्षणों की लगातार निगरानी करते रहना चाहिए। जिन लोगों में इनमें से एक या अधिक लक्षण लगातार बने रहते हैं, उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके स्थिति का समय रहते निदान करा लेना चाहिए। ध्यान रखें समय पर रोग का पता चलने और इलाज मिल जाने पर कैंसर को बढ़ने से रोकने और जान बचाने की संभावना अधिक हो जाती है।