लखनऊ। सीएसआईआर - राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा 83वां सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह एवं हिंदी पखवाड़े के समापन समारोह का आयोजन आज दिनांक 29 सितम्बर, 2023 को किया गया । इस अवसर पर डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक, सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ एवं डॉ. भास्कर नारायण, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर, लखनऊ कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे । संस्थान के निदेशक डॉ अजित कुमार शासनी ने अपने स्वागत संबोधन में संस्थान की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि आज संस्थान की उपलब्धियों की चर्चा देश में हो रही है। इस संबंध में उन्होंने कि अगर संस्थान के वैज्ञानिक मिल जुलकर काम करेंगे तो संस्थान दिनों दिन उन्नति करेगा।
इस अवसर पर सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा दो हर्बल प्रौद्योगिकियों को भी हस्तांतरित किया गया। जिनमे क्रोमा-3: जैवउपलब्ध करक्यूमिन और शिव भभूत शामिल हैं। इन्हें क्रमशः मेसर्स कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड, सिकंदराबाद और मेसर्स केमोल ऑर्गनाइजेसिस, नई दिल्ली को हस्तांतरित किया गया। क्रोमा-3: जैव उपलब्ध करक्यूमिन हल्दी के गुणों से भापुर एक हर्बल न्यूट्रास्युटिकल फॉर्मूलेशन है, जबकि शिव भभूत मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से तैयार एक वैज्ञानिक रूप से मान्य उत्पाद है। समारोह में संस्थान की राजभाषा पत्रिका 'विज्ञान वाणी' अंक 30 वर्ष 2024 का विमोचन भी गणमान्य अतिथियों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों ने परिषद् में 25 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले दो कर्मचारियों एवं विगत एक वर्ष में सेवानिवृत होने वाले 09 कर्मचारियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया | स्थापना दिवस के अवसर पर कर्मचारियों के बच्चों हेतु आयोजित विज्ञान निबंध एवं चित्रकारी प्रतियोगिता में विजयी बच्चों को भी पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इसके साथ-साथ, सीएसआईआर-एनबीआरआई की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पूनम सी सिंह की पुत्री सुश्री अनिका सिंह को उच्च अध्ययन के लिए सीएसआईआर छात्रवृत्ति प्राप्त करने पर भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों ने हिंदी पखवाड़ा 2024 के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजताओं को भी सम्मानित किया ।
डॉ प्रबोध त्रिवेदी ने अपने संबोधन में उपस्थित श्रोताओं को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सी.एस.आई.आर. के कर्मचारियों एवं अन्य लोगों के लिए लिए ये हर्ष का दिवस है जिनके लगातार योगदान के कारण सी.एस.आई.आर. नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है उन्होंने इस अवसर पर युवा शक्ति का आवाहन करते हुए कहा कि देश को आगे ले जाने में युवाओं का बड़ा योगदान भी है और जिम्मेदारी भी उन्ही की सबसे ज्यादा है अतः हमारे युवाओं को और भी अधिक मेहनत करनी होंगी ।
डॉ भास्कर नारायण ने अपने संबोधन में स्थापना दिवस की बधाई देते हुए इसे पुनरावलोकन का दिन बताया जब हमें यह सोचना होता है कि क्या हमने अपने लक्ष्यों की पूर्ती हेतु संस्थान को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदान किया है| उन्होंने देश के चुनावों के दौरान ऊंगली पर लगाने हेतु सी.एस.आई.आर. द्वारा विकसित की गयी अमिट स्याही का उदाहरण देते हुए कहा कि चाहे आप व्यक्तिगत रूप से कार्य करें या टीम के रूप में, आपका काम ऐसा हो जो सी.एस. आई.आर. को एक विशेष पहचान दिला सके| हिंदी पखवाड़ा समारोह के समापन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपनी मातृभाषा का सम्मान करने के साथ साथ अन्य भाषाओँ के सम्मान की बात कही। अंत में संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. श्रीकृष्ण तिवारी द्वारा धन्यवाद् ज्ञापन दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विधु साने के द्वारा किया गया।
सीएसआईआर-एनबीआरआई के वनस्पति उद्यान में तुलसी उद्यान का उद्घाटन
सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति संस्थान, लखनऊ द्वारा आज अपने वनस्पति उद्यान में एक ‘तुलसी उद्यान’ का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ के निदेशक डॉ. पीके त्रिवेदी, पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. आरके लाल और विशिष्ट वैज्ञानिक डॉ. यू.सी. लवानिया के द्वारा तुलसी उद्यान का उद्घाटन किया गया। संस्थान के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने बताया कि संस्थान के मौजूदा वनस्पति उद्यान में यह तुलसी उद्यान अपनी तरह का पहला उद्यान है जिसको तुलसी उद्यान को सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ के सहयोग से विकसित किया गया है। सीमैप के द्वारा तुलसी उद्यान के लिए तुलसी की दस बेहतरीन किस्में उपलब्ध कराई गयी हैं। तुलसी (पवित्र तुलसी) पुदीना परिवार का एक फूल वाला पौधा है जिसे इसकी सुगंधित पत्तियों के लिए उगाया जाता है। इस पौधे का अक्सर विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए हर्बल चाय के रूप में व्यापक रूप से आयुर्वेदिक और लोक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। यह अनूठा उद्यान आम जनता के बीच तुलसी के स्वास्थ्य लाभों को भी बढ़ावा देगा। इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों ने भारत सरकार की ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के अंतर्गत में ‘जैतून का पौधा’ भी लगाया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में मोर्निंग वाकर्स, वैज्ञानिक और अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।