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उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष एक बड़ी समस्या है। खासकर, बाघ और तेंदुए के हमले यहाँ आम हैं, लेकिन मुआवजे की राशि अन्य राज्यों की तुलना में कम है।

फसल का नुकसान: फसल नुकसान के लिए मुआवजा उत्तर प्रदेश में सिर्फ 1,000 रुपये प्रति हेक्टेयर है, जो महाराष्ट्र की तुलना में काफी कम है।
• मानव जीवन का नुकसान: मानव मृत्यु पर 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है, जो महाराष्ट्र के मुआवजे से काफी कम है।
• विलंबित मुआवजा प्रक्रिया: उत्तर प्रदेश में कई बार मुआवजा वितरण में देरी होती है, जो पीड़ित परिवारों के लिए परेशानी का कारण बनता है।

उत्तराखंड में मुआवजा नीति

उत्तराखंड में जंगल और वन्यजीवों की भरमार है, खासकर हाथी, बाघ, और भालू के हमले किसानों के लिए बड़ा खतरा हैं। यहां मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिए राज्य ने कई प्रावधान किए हैं, लेकिन मुआवजा नीति में भी कुछ कमियां हैं।

• फसल का नुकसान: उत्तराखंड सरकार प्रति हेक्टेयर फसल नुकसान के लिए 3,000 रुपये का मुआवजा देती है, जो महाराष्ट्र से कम लेकिन उत्तर प्रदेश से अधिक है।
• मानव जीवन का नुकसान: यहां सरकार 4 लाख रुपये तक का मुआवजा देती है, जो महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश दोनों की तुलना में कम है।
• मुआवजा वितरण में पारदर्शिता की कमी: उत्तराखंड में भी मुआवजा वितरण की प्रक्रिया अक्सर देरी से होती है, जिससे पीड़ित परिवारों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

तीनों राज्यों की तुलना में मुआवजा असमानता

महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड की मुआवजा नीतियों की तुलना से यह स्पष्ट होता है कि महाराष्ट्र में मुआवजा नीति सबसे उदार है, जबकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मुआवजा राशि और वितरण प्रक्रिया को सुधारने की आवश्यकता है।

राज्य फसल नुकसान मुआवजा (प्रति हेक्टेयर) मानव जीवन मुआवजा प्रक्रिया
महाराष्ट्र 4,500 रुपये 15 लाख रुपये तेज और पारदर्शी
उत्तर प्रदेश 1,000 रुपये 5 लाख रुपये धीमी और विलंबित
उत्तराखंड 3,000 रुपये 4 लाख रुपये धीमी और कम पारदर्शिता