"एक जिला, एक उत्पाद" (ODOP) योजना के तहत अमेठी में खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण गंभीर संकट का सामना कर रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भारी अव्यवस्थाएं देखने को मिल रही हैं, जिससे प्रतिभागियों के लिए समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
गौरीगंज के जामो रोड पर स्थित एक निजी सभागार में चल रहे इस प्रशिक्षण में, उद्योग विभाग ने जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश डिजाइन एवं शोध संस्थान को सौंपी है। लेकिन स्थिति यह है कि प्रशिक्षण के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। यहां के अधिकारी इस अव्यवस्था का ठीकरा एक-दूसरे पर फेंक रहे हैं, जिससे स्पष्ट है कि कोई भी अपनी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। कथित तौर पर 150 लोगों के लिए बैच चलाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि उपस्थिति 50 से अधिक नहीं है। उपस्थित लोगों की केवल हाजिरी लगाई जा रही है, जिससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण में बुनियादी सुविधाएं, जैसे नाश्ता और चाय, भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। लंच पैकेट में केवल चार पूड़ी, सब्जी और नुक्ती शामिल की जा रही है। दूरदराज से आने वाले प्रतिभागियों को दाल, चावल, सलाद आदि जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों से वंचित रखा जा रहा है। प्रशिक्षक अंकुर शर्मा ने बताया कि जो भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है, वही सभी में वितरित किया जा रहा है, जो पूरी तरह से असंतोषजनक है।
उद्योग विभाग के उपायुक्त दिनेश चौरसिया और प्रबंधक राजेश भारती इस विषय पर बातचीत करने से बचते नजर आ रहे हैं। जिले के अन्य जिम्मेदार लोग भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।प्रशिक्षण में भाग लेने वाले लोग केवल 10 दिन की अवधि पूरी करने के लिए आ रहे हैं ताकि उन्हें 2000 रुपये और खाद्य प्रसंस्करण के लिए लगभग 10,000 रुपये की कीमत की किट मिल सके। इससे यह स्पष्ट है कि कार्यक्रम का उद्देश्य पहले से ही विफल हो चुका है और प्रतिभागियों की जरूरतों की अनदेखी की जा रही है।
इस प्रकार की गंभीर स्थिति खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती है। प्रशासन को चाहिए कि इस मुद्दे पर शीघ्र कार्रवाई की जाए, ताकि प्रशिक्षण कार्यक्रम की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके और आम जनता का विश्वास पुनः प्राप्त किया जा सके।