आस्था

आत्मज्ञान मानवीय जीवन की एक सार्थक दिव्य और आनंदमय कुंजी है: मनीषी

शाहजहाँपुर: शिव सत्संग मण्डल द्वारा हनुमत धाम के निकट स्थित परी मैरिज लान में आयोजित शिवोत्सव में विनोबा सेवा आश्रम के संरक्षक समाजसेवी ओंकार मनीषी ने कहा कि आत्मज्ञान मानवीय जीवन की एक सार्थक दिव्य और आनंदमय कुंजी है। भ्रम और अज्ञान को दूर करने के लिए आत्मज्ञान प्राप्त करें जो स्वाध्याय सत्संग और ईश्वरीय अनुग्रह से सम्भव है। ईश्वर अनुग्रह से प्राप्त आत्मसाक्षात्कार हमें सशक्त उन्नत कर शान्ति-समाधान-परमानन्द प्रदान करता है ।
श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 'येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः। ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति' अर्थात जिन लोगों के पास विद्या, तप, ज्ञान, शील, गुण, और धर्म में से कोई भी नहीं होता, वे मनुष्य रूप में पशु के समान जीवन व्यतीत करते हैं। ये लोग धरती पर भार स्वरूप होते हैं। कहा कि शिव सत्संग मण्डल, ऋषियों मुनियों एवं संत परंपरा से समाज को जोड़ने का कार्य कर रहा है। शिवोत्सव में श्रद्धालुओं से कहा कि सभी सत्संग परिवार संस्कारित होकर समाज व देश के निर्माण में योगदान दें।समाज निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाएं। सनातन संस्कृति में कर्म प्रधान है।कर्म ही आपका धर्म है।
मण्डल अध्यक्ष आचार्य अशोक ने कहा कि देवों के देव महादेव सभी के परमपिता हैं।महादेव की शक्ति भारतीय ग्रंथों में वर्णित है।प्रभु से यही विनती है कि जनकल्याण करने का आशीर्वाद देते रहें।कहा कि सत्संग से विभिन्न स्थानों पर जाने का अवसर प्रभु कृपा से ही मिलता है।
श्रद्धावान, साधना में तत्पर और जितेन्द्रिय मनुष्य ज्ञानको प्राप्त होता है, ज्ञानको प्राप्त होकर वह तत्काल ही उत्कृष्ट शांतिको प्राप्त होता है ।
आध्यात्मिक अंतःकरण संपन्न मनुष्य की समस्त सांसारिक एषणायें, प्रवृत्तियां शांत, अंतर्मुखी और स्थिर हो जाती हैं। शांति का मूल आधार केवल आध्यात्मिक विचार ही है । संसार के त्रिविध तापों और क्लेशों में उलझा मनुष्य अशांत, व्यग्र, असहज, असंतुलित और अत्यन्त विचलित रहता है। इसका एक ही कारण है कि, उसके पास सही विचार, दिशा और दशा नहीं है। जब मनुष्य के पास सद्विचारों का प्रकाश आता है, तो उसे शाश्वत आह्लाद की संप्राप्ति होती है। आनंद का अर्थ है, प्रसन्नता, शांति, स्फूर्ति, उमंग और उल्लास का आना। प्रसन्नता वस्तु और पदार्थ सापेक्ष नहीं अपितु विचार सापेक्ष है।
उन्होंने कहा कि शिव आराधना से लौकिक,पारलौकिक सुख ऐश्वर्य व आनंद प्राप्त होता है।
लखनऊ के अध्यक्ष राजेश पांडेय ने बताया कि शिव स्तुति करने सेे मन
में प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती है। आध्यात्मिक शक्तियों से स्व परिवर्तन
के साथ साथ वैश्विक परिवर्तन संभव हो जाता है। परमात्मा का प्रकाशस्वरूप
से ध्यान करने मात्र से जीवन में अलौकिक बदलाव आता है।आचार्य जी ने कहा कि धर्म पर जो चला वह उन्नति की ओर बढ़ा।ध्यान और भजन से मनुष्य एक बेहतर इंसान बनता है। अटूट श्रद्धा और विश्वास से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
लखीमपुर के जिला अध्यक्ष जमुना प्रसाद जी ने कहा कि साधना के पथ पर अग्रसर होकर हमें जो भी ऐश्वर्य,ज्ञान,धन आदि मिले, उससे शुभ कार्य करें। यज्ञ करें।समाज की सेवा करें।जरूरत मंद पर व्यय करें। हमें गर्व होना चाहिए कि हम त्रिकालदर्शी ऋषियों की संतान हैं।हम परमेश्वर के विशुद्ध तेज का ध्यान करें।परमेश्वर हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे।
व्यवस्थापक यमुना प्रसाद ने सत्संग की महिमा बताई। प्रचारक प्रेम भाई ने कहा कि सज्जनो से जुड़ें और समाज को अच्छा बनायें। रामअवतार ने दान व सेवा का महत्व बताया। नन्हे लाल,सत्संगी इंस्पेक्टर एवं सोनपाल ने कहा कि धर्म अध्यात्म में लोक कल्याण सर्वोपरि होता है।
इस शिवोत्सव का शुभारम्भ विनोवा सेवा आश्रम के संरक्षक समाजसेवी ओंकार मनीषी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।श्रीकृष्ण सत्संगी ने सामूहिक ईश प्रार्थना प्रस्तुत की।
बहन शिवा, साक्षी, प्रतिज्ञा, किरिष्ठा, बेबी, भैया सत्यम, शिवाय, शिव सरन,नारद, धनिराम, सोम, शिवम, एकांश, सक्षम आदि ने प्रेरणादायी भजन सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर लिया।अम्बरीष कुमार सक्सेना एवं रवि वर्मा के संयुक्त संचालन में हुए
इस शिवोत्सव की अध्यक्षता शाहजहांपुर के जिलाध्यक्ष डॉ कालिका प्रसाद ने की।
समापन पर सभी सत्संगी जनों ने रोजाना ब्रह्ममुहूर्त में उठकर प्रभु का सुमिरन करने का शिव संकल्प लिया।
इस धर्म उत्सव में महामंत्री रजनीश सक्सेना, हरिओम,गोपाल,डॉ रोहित, अजय पाल महात्मा नाहर सिंह गेंदन लाल राम प्रताप राजपाल हरिश्चंद्र आसाराम श्रीपाल राजकुमार, देव सिंह अवधेश, सुनील, रामकुमार, ओंकार, हंसराम रामनिवास सहित सैकड़ो लोगों ने सहभागिता की।